भारत के दक्षिणपश्चिमी छोर पर स्थित केरल की हरित पट्टी पश्चिमी घाट और अरब सागर के बीच बसा हुआ एक अनोखा प्रदेश है जो देश के शेष राज्यों से बिल्कुल अनूठा है।
केरल का इतिहास बहुत पुराना है, शेष विश्व के साथ शताब्दियों पुराने इसके संबंध रहे हैं और कला एवं संस्कृति की इसकी प्राचीन परंपरा रही है। बेहद ऊंची साक्षरता दर के साथ देश में सामाजिक न्याय, लैंगिक समानता, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में केरल अग्रणी रहा है।
धार्मिक सहिष्णुता और समभाव का प्रतीक रहा यह वही राज्य है जहां से भारत में ईसाई और इस्लाम धर्म का प्रवेश हुआ। और केवल इतना ही नहीं! देश का पहला चर्च और मस्जिद मध्य केरल के कोडुंगल्लूर में ही स्थित हैं।
केरल दुनिया का मसाला उद्यान है। पुराने जमाने में, दुनिया के कोने-कोने से व्यापारी मसालों की तलाश में केरल पहुंचते थे। बाद में, इसी मसाला मार्ग का अनुसरण कर यूरोप की शक्तियां केरल पहुंचीं।
प्राकृतिक संसाधनों और जल स्रोतों के बाहुल्य वाले केरल राज्य को ‘पावस-भूमि’ (वर्षा का देश) भी कहा जा सकता है। केरल में जीवन का आधार इसकी दो वर्षा ऋतु- इडवप्पाती और तुलावर्षम हैं।
आइए इस अनुपम पावन भूमि के इतिहास और संस्कृति की यात्रा पर चलें! यह यात्रा आपको नानाविध रंगों, स्वाद-सुगंधों और कला-संगीत आदि की अद्भुत संसार में ले चलेगी .... यह यात्रा हमारे लिए केरल के रहस्यों का उद्घाटन करेगी।