सांस्कृतिक मामलों का विभाग, केरल सरकार


सिनेमा

भारतीय सिनेमा के क्षेत्र में मलयालम सिनेमा का अपना विशिष्ट स्थान है। हालांकि हमारा सिनेमा उद्योग एक छोटे से भौगोलिक क्षेत्र के दर्शकों की जरूरत पूरा करता है, यह सालाना औसतन 70 फिल्में निर्मित करता है और इसके पास विश्वविख्यात फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक, तकनीशियन और उच्च कोटि के कलाकार हैं।

वर्षों के दौरान अडूर गोपालकृष्णन, जी. अरविंदन, एम.टी. वासुदेवन नायर और षाजी एन. करुण ने अपनी फिल्मों के लिए विभिन्न अंतर्राष्री। य चलचित्र समारोहों में सम्मान अर्जित कर मलयालम सिनेमा को खास ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। अब तक कई दशकों से यह वार्षिक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में अग्रणी पंक्ति में शुमार रहा है।

हालांकि शुरुआत में इंडस्ट्री को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, लेकिन अपनी पहली फिल्म विगतकुमारन के निर्माण के बाद से ही इसने सफलता की गाथा रची है। इसके इतिहास में मलयालम सिनेमा के उत्थान की कहानी चार चरणों में विभाजित की जा सकती है:

  • शुरुआती समस्याओं का दौर (1928 – 1950)
  • मलयालम साहित्य और सिनेमा की युगलबंदी (1950 – 1970)
  • नई संवेदना का कालखंड (1970 – 1980)
  • मलयालम सिनेमा का स्वर्णयुग (1980 – 1990)
  • और जीवन से बड़े कद के नायकों का दौर (1990 के बाद से )