पूरब में समुद्र तल से पश्चिमी घाट की 2700 मीटर तक की ऊंचाई तक और पश्चिम तथा दक्षिण में अरब सागर से घिरे केरल में 44 नदियां है जो इसे एक विविधतापूर्ण खूबसूरत भूदृश्य प्रदान करती हैं। दुनिया के इस खूबसूरत हिस्से को ‘ईश्वर का अपना देश’ कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है। पर्वत, घाटियां, बैकवाटर्स और समुद्रतट केरल के खूबसूरत भूदृश्य का निर्माण करते हैं और इसे सही मायने में ‘ईश्वर का अपना देश’ बनाते हैं। ऊष्ण गृष्म ऋतु, लंबा मानसून, पानी और जंगल अधारित प्राकृतिक संसाधन, हरेभरे भूदृश्य और लंबे समुद्र तट वाले इस प्रदेश के बारे में कहा जाता है कि हिंदू पौराणिक गाथा के पात्र परशुराम ने केरल की भूमि समुद्र से निकाली थी।
केरल 8°.17’.30” N और 12° 47’.40” N अक्षांश तथा 74°.27’47” E और 77°.37’.12” E देशांतर के बीच स्थित है। भूगोल के आधार पर केरल को तीन प्राकृतिक खंडों में बांटा जा सकता है। वे हैं ‘मला नाडु’ (उच्च भूमि या पर्वतीय प्रदेश), इडा नाडु (मध्य भूमि या मैदानी प्रदेश) और तीरा प्रदेशम (समुद्रतटीय क्षेत्र या निम्न भूमि)। पश्चिमी घाट से लगा पर्वतीय प्रदेश उत्तर-दक्षिण दिशा में अवस्थित है। इस क्षेत्र में ऊष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) आर्द्र सदाबहार वन है जो वन्य जीवों से भरे हैं। केरल की ज्यादातर नदियां इन्हीं वनाच्छादित पर्वतों से निकलती हैं। केरल के पर्वतीय प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध सदाबहार वन पालघाट (पालक्काड) जिले में मण्णारक्काड के निकट साइलेंट वैली में पड़ता है। 2695 मीटर की ऊंचाई पर स्थित आनमुड़ी (आनइमुडी) केरल की सबसे ऊंची चोटी है और 1869 मीटर की ऊंचाई वाला अगस्त्यकूडम केरल के दक्षिणी छोर पर स्थित सबसे ऊंची चोटी है। साइलेंट वैली और इरविकुलम केरल के दो राष्ट्रीय उद्यान (नेशनल पार्क) हैं। उत्तर-दक्षिण दिशा में फैला पश्चिमी समुद्र तट का इलाका पश्चिमी घाट के समांतर है। पर्वतीय प्रदेशों और समुद्र तटीय क्षेत्र के बीच ‘इडा नाडु’ अवस्थित है जिसमें छोटी पहाड़ियां और मैदान आते हैं। केरल में 41 नदियां पश्चिम की ओर बहती हुई बैकवॉटर्स और अरब सागर में मिलती हैं और 3 नदियां ऐसी हैं जो पूरब की ओर बहती हैं। 1974 में प्रकाशित केरल सरकार के लोक निर्माण विभाग (पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट) की रिपोर्ट के अनुसार 15 किमी से अधिक लंबी जलधारा नदी मानी जाती है।
केरल में मीठे पानी की अनेक झीलें हैं। वेल्लायणि कायल (तिरुवनंतपुरम), शास्तांकोट्टा कायल (कोल्लम), एनामाक्कल कायल और मनक्कोडी कायल (तृश्शूर) और पूक्कोडु तड़ाकम (वायनाड) ईश्वर के अपने देश स्थित मीठे पानी की झीलें हैं।