सांस्कृतिक मामलों का विभाग, केरल सरकार

सांस्कृतिक संस्थान


कुंजन नंबियार मेमोरियल (कुन्चन नम्बियार स्मारक)

अंबलप्पुष़ा
कुंजन नंबियार मेमोरियल सोसाइटी (कुन्चन नम्बियार स्मारक समाज) की गतिविधियों में शामिल हैं तुल्लल पर कक्षाओं का आयोजन, नंबियार की कविताओं पर शोध, स्कूलों में तुल्लल का प्रदर्शन, वेलाकली, चेंडा आदि का प्रशिक्षण। अम्बलप्पुष़ा में केरल सरकार द्वारा स्थापित कुंजन नंबियार मेमोरियल का उद्घाटन सितंबर 1967 में हुआ था। हर साल 5 मई का दिन कुंजन दिवस के रूप में मनाया जाता है और इस अवसर पर सेमिनार, तुल्लल और अन्य कला कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

किल्लिकुरिश्शी मंगलम
आधुनिक मलयालम भाषा और साहित्य के विकास और रूपांतरण के विवरण दर्ज करने के लिए और केरल के समाज में कुंजन नंबियार को प्राप्त स्थान को दर्शाने के लिए किल्लिकुरिश्शी मंगलम में कुंजन नंबियार मेमोरियल की स्थापना की गई। केरल सरकार ने 1 सितंबर 1975 को कलक्कत्तु भवन, कुंचन नंबियार के घर और उसके आस-पास की 56 सेंट भूमि अधिग्रहीत की और उसे राष्ट्रीय स्मारक में रूपांतरित कर दिया। 1955 में पहली बार महाकवि कुंजन नंबियार स्मारक समारोह के अंग के रूप में कुंजन दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। प्रथम कुंजन दिवस 5 मई 1957 को किल्लिकुरिश्शी मंगलम में मनाया गया।

27 जनवरी 1958 को तात्कालीन मुख्यमंत्री ई.एम.एस. नम्बूतिरीपाड ने किल्लिकुरिश्शी मंगलम में कुंजन मेमोरियल लाइब्रेरी का शिलान्यास किया।

कथकली भवन और उसके आस-पास की भूमि को राष्ट्रीय स्मारक में परिणत कर देने के बाद केरल सरकार ने कलक्कत्तु भवन के पत्तायाप्पुरा (कोठार), सर्पेंट ग्रोव (सर्प का मंदिर), पडिप्पुरा (द्वार-भवन) जैसे प्राचीन भवनों का अधीग्रहण किया।

राष्ट्रीय स्मारक का लक्ष्य है कुंजन नंबियार के विचारों और दर्शन का प्रसार करना। इसकी गतिविधियों में शामिल हैं कुंजन नंबियार की कृतियों का अनुवाद, उनका मंचन और सार्वजनिक गोष्ठियों और सेमिनारों का आयोजन करना। एक सुसज्जित लाइब्रेरी के निर्माण और उचित अवसरों पर उत्सवों के आयोजन का भी निर्णय लिया गया। अन्य उद्देश्य हैं तुल्लल कला का प्रसार करना और कुंजन नंबियार की एक प्रामाणिक जीवनी तैयार करना।

आज संयुक्त रूप से कुंजन स्मारक वायनाशाला, कुंजन स्मारक कला समिति, और कुंजन स्मारक समिति द्वारा कुंजन दिवस का व्यापक आयोजन किया जाता है।