सांस्कृतिक मामलों का विभाग, केरल सरकार

सांस्कृतिक संस्थान


मलयालम मिशन

केरल का कई शताब्दियों पुराना इतिहास रहा है। प्राचीन काल से ही आप केरल के समाज, राजनीति और धर्म के क्षेत्र में स्पष्ट विशिष्टताओं का दर्शन कर सकते हैं। हालांकि यह एक ऐतिहासिक सत्य है कि इन विविधताओं के मूल में एक स्वतंत्र संस्कृति विराजमान रही है। यह केरल की विशिष्ट संस्कृति थी। और, यह केरल की भाषा मलयालम में प्रतिबिंबित होती है।

मलयालम द्राविड़ भाषा परिवार की भाषा है। मलयालम भाषी लोग हमें संसार के हर हिस्से में मिल जाते हैं। यद्यपि यह सच है कि मलयालम मलयाली लोगों की भाषा है इसे बोलने वाले लोगों का समूह दुनिया में बहुत सीमित हो गया है। इस भाषा के दुनिया भर में प्रसार के उद्देश्य से केरल सरकार ने अपने संस्कृति विभाग के अंतर्गत मलयालम मिशन की शुरुआत की।

मलयालम को 2013 में क्लासिक भाषा (शास्त्रीय भाषा) वर्ग के तहत लाया गया जो ऐसी भाषाओं की श्रेणी है जिसमें 200 वर्ष या उससे अधिक पुरानी भाषाएं होती हैं।

यद्यपि प्रवासी मलयाली लोगों को मलयालम भाषा सीखने में मदद के प्रयास किए गए लेकिन इसमें उल्लेखनीय बात तब हुई जब 22 अक्टूबर 2009 को नई दिल्ली में मलयालम मिशन का औपचारिक उद्घाटन किया गया। तिरुवनंतपुरम में मुख्यालय वाले इस मिशन के दफ्तर दिल्ली, मुंबई, चेन्नई में हैं और भारत तथा विदेशों में सैकड़ों भाषा शिक्षण केंद्र स्थापित हैं।

त्रावणकोर हाउस में स्थित मलयालम मिशन के अंदर जुलई 2011 में एक लाइब्रेरी की शुरुआत की गई। ‘पूक्कालम’ नामक एक वेब मैग्जीन की भी शुरुआत हुई। मिशन का प्रयास है प्रवासी मलयाली बच्चों की रचनात्मक प्रतिभा को विकसित करना और उनमें भाषा और देश के प्रति स्वाभिमान की भावना भरना। ये मलयालम मिशन के लक्ष्य भी हैं। इसे हासिल करने के लिए मिशन सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, हाइयर डिप्लोमा, सीनियम डिप्लोमा और अन्य अनेक पाठ्यक्रम मुहैया करता है।

इन पाठ्यक्रमों के लिए टेक्स्ट बुक मुख्य रूप से चार शीर्षको में है; पहले दो साल में सीखे जा सकने वाले पाठ्यक्रम के लिए- ‘कणिक्कोन्ना’, इसके बाद अगले दो साल में सीखे जा सकने वाले पाठ्यक्रम के लिए- ‘सूर्यकांति’; तीन साल वाले तीसरे चरण के लिए- ‘आम्बल’, और आखिरी तीन साल वाले कोर्स के लिए ‘नीलकुरिंजी’। इसके साथ ही छात्र हाइयर डिप्लोमा कोर्स पूरी करने की स्थिति में होगा और उसे दसवीं कक्षा के समकक्ष एक सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा।

मलयालम मिशन के परियोजनाओं में अध्ययन केंद्रों के अध्येताओं को केरल के सांस्कृतिक महत्व के ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण कराना भी शामिल है।